Sunday 29 September 2013

जलजला जजीरा - समुद्र में अचानक यह क्या उभर आया ?

अभी पिछले हप्ते (24,सितम्बर 13 ) पाकिस्तान में जो एक भीषण भूकंप आया (जलजला ) आया था उसके चलते समुद्र में एक नया जजीरा बन गया -यहाँ के मीडिया में इसकी ज्यादा चर्चा नहीं हुयी . मगर अमेरिकी भूगर्भ शास्त्रियों ने इसमें ख़ास रूचि दिखायी हैं . लोगों ने मजाक में यह भी कहा कि चलो अमेरिका को एक नया नौसैनिक अड्डा मिल गया है . अमेरिकी भूगर्भ शास्त्री बिल बर्न्हार्ट के अनुसार यह मिट्टी बालू गाद और पत्थरों का एक जखीरा है और यहाँ समुद्र पंद्रह से बीस मीटर गहरा है यानि यह समुद्र तट से ज्यादा दूर नहीं है .मजे की बात है कि इस नए मड आईलैंड के बनते ही सैलानियों की आवाजाही भी शरू हो गयी है। यह जजीरा ग्वादर की पश्चिमी खाड़ी पड्डी जिर्र के समीप है .
बिल बर्न्हार्ट के मुताबिक़ यह गाद समुद्र की तलहटी से भूकंप के दौरान ऊपर उठ आयी जबकि भूकंप का केंद्र यहाँ से तीन सौ अस्सी किलोमीटर दूर है . उनके अनुसार भूकम्पों के समय जमीन में गहरे दबी मीथेन गैस,कार्बन डाई आक्साईड भूगर्भीय परतों के हिलने से दबाव मुक्त होकर बाहर निकल पड़ती हैं और अपने साथ भारी मात्रा में समुद्री गाद को ऊपर ढकेल देती हैं। यह नया जजीरा ऐसे ही बना है . अभी भी यहाँ से मीथेन गैस का चल रहा है जो ज्वलनशील है . नया जजीरा मकरान खाड़ी में पिछले सौ सालों में निकलने वाले सैकड़ों जजीरो में से एक है .
                       लो जी जलजले जजीरे पर सैलनियों का जमघट भी शुरू हो गया 
दरअसल यह पूरा क्षेत्र अरेबियन टेकटानिक प्लेटों के उत्तर दिशा में और नीचे की ओर बढ़ने तथा यूरेशियाई प्लेटों के नीचे  जाने की हलचलों से व्याप्त है -इस प्रक्रिया में अरेबियन प्लेट की मिट्टी और गाद खुरच उठती है और इसके चलते दक्षिण पश्चिमी पाकिस्तान औरदक्षिणी  पूर्वी इरान के समुद्री छोरों पर कई नए जजीरे बनते जा रहे  हैं .पाकिस्तान के भूगर्भ शास्त्री आसिफ इनाम का कहना है कि इन जजीरों से समुद्री परिवहन में बाधा उत्पन्न होती है .

दरअसल यह पूरा क्षेत्र अरेबियन टेकटानिक प्लेटों के उत्तर दिशा में और नीचे की ओर बढ़ने तथा यूरेशियाई प्लेटों के नीचे जाने की हलचलों से व्याप्त है -इस प्रक्रिया में अरेबियन प्लेट की मिट्टी और गाद खुरच उठती है और इसके चलते दक्षिण पश्चिमी पाकिस्तान और दस्क्स्हीं पूर्वी इरान के समुद्री छोरों पर कई नए जजीरे बनते जा रहे हैं .पाकिस्तान के भूगर्भ शास्त्री आसिफ इनाम का कहना है कि इन जजीरों से समुद्री परिवहन में बाधा उत्पन्न होती है . नया जजीरा मगर ज्यादा टिकने वाला नहीं है और कुछ माहों या वर्ष के भीतर समुद्र के सतह के भीतर छुप जाएगा . यह खबर सैलानियों के उत्साह को ठंडा कर सकती है .