Monday 8 September 2008

मस्त रहें ज्ञान जी और आप सभी ,प्रलय नहीं आने वाली !

लार्ज हेड्रान कोलायीडर एक्सेलेरेटर -यही वह मशीन है जिसे लेकर हो हल्ला मचा हुआ है !
मैं इस विषय को साईब्लोग पर नहीं लेने वाला था पर आज अल्लसुबह ज्ञान जी की इस पोस्ट ने झकझोरा !उन्होंने परोक्ष ही सही मेरे कर्तव्य बोध को जगाया कि भई यदि अपने को ज़रा भी जन हितैषी मानते हो तो विज्ञान से जुड़े इस मामले पर आम जनकी समझ में कुछ इजाफा करो ।
पता नहीं दुनिया को ख़त्म होने के प्रचार के पीछे कौन सी मानसिकता काम करती है -ऐसा कई बार पहले भी हो चुका है .२०१२ में किसी आसमानी जलजले से दुनिया के खात्में की बात हो ही रही थी कि अब यह नया शिगूफा आ धमका .कल यानी १० सित्मबार को क़यामत आने वाली बात को कुछ मीडिया चैनल टी आर पी की फेर में दर्शकों के बीच जोर शोर से ले जाकर उन्हें डरा धमका रहे हैं .पर इत्मीनान रखें कल भी सुबह चिडियों की चहचहाहट से शुरू होगी और सुबहे बनारस और अवध की शामें गुलज़ार होंगी -दुनिया की आपाधापी बदस्तूर जारी रहेगी .हिन्दी ब्लॉग जगत पर नर नारी द्वंद्व जारी रहेगा औरउनकी मनुहार होती रहेगी जो जाने को कह रहे हैं -यानी दुनिया वैसी ही चलती रहेगी
पर यह माजरा आख़िर है क्या ? कोई ख़ास नहीं बस भौतिकी के कुछ परीक्षण किए जाने वाले हैं स्विट्जरलैंड में जहाँ यूरोपियन रिसर्च आर्गनाईजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च कुछ मूल भौतिकी के कणों पर कल ही परीक्षण करने वाली है .कई किलोमीटर की इस मशीन में नाभकीय प्रोटान कणों को टकराया जायेगा .ऐसी मशीने भौतिकी की भाषा में सायिक्लोत्रान कहलाती हैं जो नाभकीय कणों की गति को भी काफी तेज कर सकती है ।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम १९८० से ही शुरू हो गया था .कल वह सुनहरा दिन है जब इसे कुछ मूलभूत प्रयोंगों के लिए उपयोग में लाया जायेगा .फ्रांस और स्विजरलैंड की सीमा पर जेनेवा के निकट स्थित सबसे बड़े इस पार्टिकिल एक्स्लेरेटर काम्प्लेक्स में लार्ज हैड्रान कोलायीडर वैसे एक भीमकाय मशीन है पर यहाँ से मौत की किरणे नहीं बल्कि जीवन की किरणे फूटेंगी -कैसे ?
आईये बताएं -कल के प्रयोग से नाभकीय कणों के जरिये इस समय की एक बड़ी समस्या बन रहे नाभकीय कचरे को विनष्ट किया जा सकेगा .कैंसर के उपचार में नाभकीय किरणों के व्यापक उपयोग को हरी झंडी मिल सकेगी ! साथ ही धरती के वायुमंडल में कास्मिक बौछारों से बनने वाले बादलों की प्रक्रिया को सही तरह से समझा जा सकेगा जिससे हमें मौसमों के नियमन में सुविधा होगी ।ये तो हैं मनुष्य के सीधे लाभ की बातें ,साथ ही कई अकादमिक बहसों जैसे ब्रह्मांड के निर्माण की पहेलियों को भी समझा जा सकेगा । इससे विनाशक अंधकूप नहीं बनेंगे बल्कि जीवन की रोशनी छलक उठेगी ! और दुनिया इस आलोक में पहले से भी सुन्दर दिखेगी ,हम फिर कल मिलेंगे ! आमीन !!