Thursday 29 May 2008

क्योंकर स्वदेशी हुआ चंद्रयान अभियान ?

चित्रकार की नज़र में चंद्रयान -सौजन्य इसरो
चंद्रयान अभियान की सुधि है आपको ?इसे तो अभी तक चन्द्रमा की ऑर उड़ चलना था .जी हाँ ,अब जाकर तैयारियां जोर पकड़ रही हैं और अनुमान है कि सितम्बर के आस पास यह अभियान काफी धूम धडाके से अपनी राह पकड़ लेगा -मगर इतना विलम्ब क्यों ?
अरे भाई चुनाव करीब है और उसके जितना ही करीब यह शोबाजी होगी उतना ही वोटरों को रिझाने का मौका मिलेगा न !बहरहाल मैंने यह पोस्ट इस खातिर नियोजित की है कि आप भी ज़रा यह जायजा लें कि क्या यह विशुद्ध रुप से एक देशज अभियान ही है -आप निर्णय ख़ुद लें -
इस चंद्रयान -१,ल्युनर आर्बिटर की मशीनरी में आधे दर्जन से ज्यादा देश भागीदारी कर रहे हैं -इसमे एक तो C1xs है जिसे यूरोपियेन स्पेस एजेंसी ने प्रायोजित किया है और यह हेल्स्नकी युनिवेर्सिटी के सहयोग से तैयार किया गया है .अभी भी इसके एक्स रे सोलर मानीटर का इंतज़ार हो रहा है .यह चन्द्र सतह की रासायनिक जांचों मे मदद करेगा .इसी तरह एक औजार नासा का मून मिनेरोलोजी मैपर एम् ३ है जो एक १५ पौंड का स्पेक्ट्रोमीटर है जो चाँद के खनिज खादानों पर निगाह जमाएगा .यह एक खादान नक्शा भी तैयार कराने मे मददगार होगा .यह चाँद के गुफा गह्वरों में बर्फानी जल स्रोतों की भी खोज बीन करेगा .एक नन्हा सा बुल्गारियाई विकिरण मापी -राडोम भी इस अभियान का हिस्सा है जो वहाँ के वातावरण [?}में रेडियो धर्मिता की छान बीन करेगा .
यही नही जर्मनी के मैक्स प्लांक संस्थान द्वारा एक और खनिज खोजी -SIR 2, भी यान पर आरूढ़ हो चुका है जो खनिज भंडारों की बारीक पड़ताल करेगा .
जांस हापकिंस युनिवेर्सिटी के अप्लायिद भौतिकी के वैज्ञानिकों ने एक राडार मैपिंग इकाई भी भेजी है जो यान मे फिट हो चुकी है .यूरोपियेन स्पेस एजेंसी ने स्वीडेन ,जापान ,स्विट्जरलैंड के सहयोग से SARA नामक एक प्रोब भी भेजा है जो यान में जगह पाएगा और सौर हवाओं का ताप सहेगा .
और कई भारतीय उपकरण तो खैर है हीं .
इस तरह यह अभियान एकदम से स्वदेशी कैसे कहा जाय ?कुछ लोग कहेंगे कि यह वैश्विक स्पेस बिरादरी का सुंदर मेल है .या फिर सभी भारत के कंधे पर बंदूक लाद अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं .


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